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शनिवार, 25 सितंबर 2021

गऊखा

गऊखा पूर्वी उत्तर प्रदेश के गॉवों के पुराने मकानों या पुराने ज़माने के पक्के मकानों में देख़ने को आराम से मिल जायेगा। गऊखा लगभग हर मकान का अनिवार्य हिस्सा है... 

पुराने जमाने में बिजली में मामले में बहुत ही पिछड़े थे हम सब। शहरों को छोड़कर बहुत कम जगहों पर बिजली होती थी। ढिबरी रखने के लिये गऊखा ही प्रयोग में लाया जाता रहा होगा। अँधेरे को प्रकाशमयी करने के लिये छोटी शीशी में मिट्टी का तेल डाल कपड़े की बत्ती बनाकर ढिबरी बनाया जाता था। अब तो ढिबरी का कोई चलन ही नही। न तो मिट्टी का तेल ही उपलब्ध है और न ही बिजली की कोई समस्या। 


अधिकतर इसके ऊपर का हिस्सा मेहराबनुमा होती है। गऊखा को अलग-अलग नामों से संबोधित किया जाता है जैसे ताखा, पठेरा, गोखलो, दियरख, आला इत्यादि इत्यादि।

गऊखा में प्रतिदिन उपयोग की छोटे-मोटे सामान भी रखे जाते रहे है। इसे तिजोरी ही समझिये।

अपनी महत्ता बनाये रखे। पता नही कौन आपकों गऊखा में उठा कर रख दें....

@व्याकुल

नियति

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