लक्ष्य
साधते
चीटीयाँ
कण-कण
समेटते...
सीमाओं
पर
रक्त
बहाते
सहते वार
हाड़
कवच
से...
लघु
प्रयास
जन-जन
का
बन
अदृश्य
शक्ति
राष्ट्र निर्माण का...
नमन
चेतन-अचेतन
राम-शबरी
पल-पल
शहीद
होते
प्रतिपल
लक्ष्य
भेंदते
@व्याकुल
आस पास तड़पते लोगो को देखना और कुछ न कर पाना कितनी कोफ़्त होती है न। व्याकुलता ऐसे ही थोड़े न जन्म लेती है। कितना तड़प चुका होगा वो। रक्त का एक एक कतरा बह रहा होगा। दिल से कह ले या आँखों से। ह्रदय ग्लानि से कितना विदीर्ण हो चुका होगा। पैर भी ठहर गए होंगे। असहाय इस दुनिया में सिवाय एक निर्जीव शरीर के।
लक्ष्य
साधते
चीटीयाँ
कण-कण
समेटते...
सीमाओं
पर
रक्त
बहाते
सहते वार
हाड़
कवच
से...
लघु
प्रयास
जन-जन
का
बन
अदृश्य
शक्ति
राष्ट्र निर्माण का...
नमन
चेतन-अचेतन
राम-शबरी
पल-पल
शहीद
होते
प्रतिपल
लक्ष्य
भेंदते
@व्याकुल
धाकड़ पथ.. पता नही इस विषय में लिखना कितना उचित होगा पर सोशल मीडिया के युग में ऐसे सनसनीखेज समाचार से बच पाना मुश्किल ही होता है। किसी ने मज...