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रविवार, 11 जुलाई 2021

जनसंख्या पलायन

आज विश्व जनसंख्या दिवस है। देश की जनसंख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि नियंत्रण करना मुश्किल हो गया है वह दिन दूर नहीं जब हमारी जनसंख्या चीन की जनसंख्या को पछाड़ देंगे।

अपने देश में जनसंख्या एक समस्या तो है ही दूसरी समस्या पलायन की है। गांव में आप आज की तारीख में पाएंगे कि लोगों के घरों में ताले लगे हुए हैं। आपको बुजुर्गों की संख्या गांवों में पर्याप्त रूप से मिल जाएंगे । पहले गांव से शहर की ओर पलायन, फिर शहर का बड़े शहरों की ओर पलायन, बड़े शहरों से दूसरे देशों की ओर पलायन एक बड़ी समस्या हो सकती है काम-काज, रोजी-रोटी की तलाश में ही पलायन हो रहे हैं, यह चिंताजनक स्थिति है। 

आज से 20 वर्ष पहले ब्रेन ड्रेन शब्द समाचार पत्रों और बड़े मंचो पर सुनाई देता रहा है पर अब उदारवादी अर्थव्यवस्था के परिणाम स्वरूप ब्रेन ड्रेन या प्रतिभा पलायन जैसे शब्द कहीं खोह में छुप गए है। भारतीय सामाजिक व्यवस्था में प्रतिभा पलायन या प्रतिभाओं का देश छोड़कर दूसरे देश को जाना कई मामलों में सामाजिक व्यवस्थाओं चिंतित करता है। जब हम प्राचीन भारत की बात करते हैं तब सात समुंदर पार पर कैसे भारतीय समाज हथकड़ी लगा देता था, आज गर्व का विषय माना जाता है की मेरा लड़का विदेश में है जबकि यहां उसके बुजुर्ग माता-पिता असहाय हो जाते हैं। विदेशियों के परिपेक्ष्य में पारिवारिक व्यवस्था जमीनी स्तर पर नगण्य है। वहां की सामाजिक व्यवस्था भारतीय व्यवस्थाओं के ठीक विपरीत मालूम होती है। भारत में विश्व जनसंख्या दिवस के संदर्भ  में नियंत्रण की कोशिश के साथ-साथ पलायन को भी हर स्तर पर रोकना होगा।

अगर जनसंख्या पलायन को हर स्तर पर नहीं रोका गया तो जनसंख्या का संतुलन बिगड़ सकता है। जहाँ सुविधाओं का स्तर अच्छा होगा वहाँ जनसंख्या का घनत्व ज्यादा होगा। इससे मूलभूत सुविधाओं के अकाल का सामना करना पड़ सकता है।

सरकार को दो स्तर पर कार्य करना होगा, जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ जनसंख्या पलायन पर भी ध्यान देना होगा। यह तभी संभव है जब मूलभूत सुविधाओं व रोजगार को बड़े शहरों तक केंद्रित न कर ग्रामीण स्तर तक ले जाया जायें।

@व्याकुल

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