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गुरुवार, 17 जून 2021

उन्मुक्त


उन्मुक्त की
परिभाषाएं
कैसे गढूँ????

गौतम बन
जाऊँ
या
लूँ कमंडली
ठौर कर लूँ
हिमालय का...

भाग
लूँ
जैसे
कभी भागा
था
जिद्द थी
मॉ से...

अचेतन
सा
स्थिर
हो जाऊँ
और
विलीन
कर लूँ
खुद में...
@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...