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शनिवार, 25 दिसंबर 2021

महामना अटल से

अटल दोनो थे

महामना भी..

मालवा की

निशानी भी..

नक्षत्र एक थे

बँटे हुये काल के..

मानक थे

उन विधाओं के..

शिक्षा को 

नभ सा

विस्तार देते..

या

नव आयाम

देते

क्षुद्र होती 

राजनीति

ऊठा-पटक कों..

नमन उन

धीर नमना को..

करू प्रणाम

अटल युक्त

महामना

व 

महामना सा

अटल को...


@व्याकुल


नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...