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शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

नियुक्ति पत्र

आज उसके नाम का एक पत्र प्राप्त हुआ। पत्र पढ़तें ही घर में कोहराम मच गया था। बहुत दिनों से राजेश कम्पटीशन की तैयारी कर रहा था। चार बहनों में राजेश सबसे छोटा था। बड़ी अपेक्षा थी सबकों राजेश से। किसी को कुछ समझ ही नही आ रहा था। घर के सारे सदस्यों ने एक-एक कर पत्र कों धुँधलें आँखों से ही देख पा रहे थें। पिछले वर्ष पिता के जाने के बाद से ही परिवार का सारा बोझ उस पर आ गया था। 

बी. एच यू. से बी. एस. सी. करने के बाद गॉव के ही छोटे से प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगा था, साथ ही ट्यूशन भी पढ़ाया करता था। बहुत परिश्रमी था वो। बहनों की शादी उसने जो कुछ जमा-पूँजी थी उससे की। उसे अपने सफल होने का पूरा भरोसा था पर परीक्षा में असफल परिणाम आते ही मन ही मन टूटता चला गया था वों।

उसकी हालत दिन प्रतिदिन खराब होती गयी। नींद गायब हो गयी थी। लग रहा था जैसे जीवन वीरान हो गया हो। कोई सहारा देने वाला नही था सिवाय मॉ के। 

आज उसकी मॉ का अस्पताल में चेक हुआ। कैंसर का पता चला। कैसे बर्दाश्त कर पाता वों। गहरी निराशा में डूब चुका था वों। 


चाँद बिसराई भोर होत

सूरज हेराई शमवा के...


यही गाता रहा था पिछले कुछ दिनों से। गाँव में पड़ोस के घर शादी का माहौल था। घर के सभी सदस्य वही गये हुये थे। हताश राजेश दूर जा चुका था। 

नियुक्ति पत्र बेसहारा जमीन पर हवा के झोंको के आगोश में था।

@व्याकुल

नियति

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