कुछ कुचक्र इंसानों ने अपने लियें ऐसे बना रखे है कि उन्ही कुचक्रों से इंसानी समाज आजीवन निकलने का प्रयास करता रहता है। हाँ... नेल्सन मंडेला के साथ कुछ यही हुआ था। उन्हे ऐसे ही कुचक्रों में फँसाकर जीवन के महत्वपूर्ण कितने वर्ष जेल को समर्पित करने पर मजबूर कर दिया था। पूरा इंसानी समाज भिन्न-भिन्न प्रकार से वर्गो व वर्णों में बँटा हुआ है।
रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन चलाने के लिये मंडेला को 12 जुलाई 1964 से सन् 11 फरवरी 1990 तक जेल की सजा मोबीन द्वीप पर काटने के दौरान उनके उत्साह में आश्रितों को संगठित करने के मामले में कोई कमी नहीं आई थी। 10 मई 1994 को आप दक्षिण अफ्रीका के प्रथम राष्ट्रपति बने जो नई ऊर्जा का संचार कर देने वाला था।
जिस धरती पर अन्याय के खिलाफ की शुरुआत गांधी जी ने कई वर्ष पहले किया था गांधीजी के विचार धारा अहिंसा के पद चिन्हों पर चलते हुए उसी धरती पर भारत रत्न से विभूषित पहले विदेशी मंडेला ने फलीभूत किया।
आंदोलनों व त्याग की यही खूबियां होती है कि विरोधियों के हौसले पस्त कर देती हैं। वर्ष 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मंडेला के इन्हीं छवि की वजह से दक्षिण अफ्रीका के लोग उन्हें राष्ट्रपिता मानते थे।
आज 18 जुलाई को उनका जन्मदिन है। 10 नवंबर, सन् 2009 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान को देखते हुए प्रत्येक वर्ष के जन्मदिन 18 जुलाई को "मंडेला दिवस" घोषित किया।
@व्याकुल