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बुधवार, 18 दिसंबर 2024

कॉफी हाउस


यह कॉफी हाउस है। कभी यहां जमावड़ा लगा रहता था इलाहाबाद के विभिन्न विधाओ के नामचीन हस्तियों के। यहां की दीवारे कई बतकहो की साक्षी रही है। अगर गवाहों की बात होंगी तो यहां की दीवारे भेद खोल देंगी। कभी प्रयागराज आये तो यहां बैठे 2-4 कॉफ़ी पीये बहुत शुकुन मिलेगा। यदि आप कवि है तो शब्दों के भण्डार मिलेंगे, नेता है तो राजनीतिक जोड़तोड़ का हौसला मिलेगा, कम्पटीशन की तैयारी कर रहें है तो उर्जित हो कर जायेंगे। कभी आइये प्रयागराज तो बेमतलब के ही यहां बैठ जाइये फिर बताइये आपको क्या मिला.....

@डॉ विपिन पाण्डेय

मंगलवार, 17 दिसंबर 2024

भिखारी ठाकुर


आज भिखारी ठाकुर जी की जयंती है। भिखारी ठाकुर  भोजपुरी के बहुत ही नामचीन और बड़े गायक हैं उन्होंने परदेश पर कई गीत और गाने लिखे हैं इसमें मुझे "विदेशिया" याद आ रहा है, (उस जमाने में बहुतायत में लोग परदेस चले जाते थे) जों परदेस गये लोगो पर है। सालों घर बातचीत नहीं हो पाती थी। परिवार गांव में ही छोड़कर चले जाते थे। बाद में पाती या चिट्ठी कह सकते हैं आप, वही एक माध्यम होता था उनके आपस के संचार के लिए या बातचीत के लिए। लेकिन यह उस जमाने में मुझे जो थोड़ा बहुत याद है कि भिखारी ठाकुर की जो पंक्तियां थी वह एक अनुभव से होकर गुजरती है। यह भी मुझे याद है व बचपन में देखा करता था कि ज़ब गांव में लोग कमाने के लिए जाते थे तो घर की औरतें घेर लेती थी और वह बड़े मान सम्मान के साथ विदा करती थी। सब अच्छे से अपना आशीर्वाद और दुआएं देते थे और मजाल है कि कोई कुछ निगेटिव बोल दे या कुछ ऐसा सामान या कोई ऐसी वस्तु उनके सामने पड़ जाए कि जो अपसुकून  की श्रेणी में आ जाए। गांव की जो भी प्रथा थी वह बहुत ही आत्मिक थी। और गांव में यह सब घर तक ही सीमित नहीं था अगर गांव का कोई भी व्यक्ति परदेश जा रहा है जैसे मुंबई या कोलकाता में। तो उससे भी कहा जाता था कि उनका हाल-चाल जरुर लीजिएगा और पाती में उनका भी समाचार दीजिएगा। या गांव का कोई व्यक्ति परदेश से वापस अपने गांव आता था तो उससे पूछा जाता था कि हमारे परदेसी कैसे हैं। अनायास ही आज भिखारी ठाकुर की जयंती पर यह सब मुझे याद आ गया।

@डॉ विपिन पाण्डेय 

धाकड़ पथ

 धाकड़ पथ.. पता नही इस विषय में लिखना कितना उचित होगा पर सोशल मीडिया के युग में ऐसे सनसनीखेज समाचार से बच पाना मुश्किल ही होता है। किसी ने मज...