FOLLOWER

दमयंती लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
दमयंती लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

दमयंती

चार दिनों से उसने खाना पीना बंद कर दिया था। दमयंती जब से ससुराल गयी थी वों अपने आप को तन्हा पा रहा था। यश के घर वालों ने उसे बहुत समझाया पर वों मौन था। 

पूरे गॉव में इनके चर्चे थे। दमयंती के घर वाले एक ही बिरादरी व एक ही गॉव के नाते शादी को तैयार नही थे।  

शादी दमयंती के ही साथ करने को यश ने कसम खायी थी। दोनों का प्रेम गहरा था। दमयंती के घर वाले सामंती प्रथा के पोषक थे जबकि यश का परिवार सामान्य किसान।


************************

दमयंती का पति विजय नशेड़ी था। शराब पी कर पड़ा रहता था। पुश्तैनी जमीन-जायदाद बहुत सारी थी उसके पास। कभी-कभी सारी रात घर से गायब रहता था। 

दमयंती के नसीब में शायद यही लिखा था। रोते रहने के सिवा और कोई चारा भी न था। यही सोचती रहती क्या स्त्री का जन्म सिर्फ कष्ट भोगने के लिये ही हुआ है.... कुछ समझ न आता उसकों... मन यही कहता लौट जाऊ अपने पीहर जहाँ यश था जो उसकी भावनाओं को समझता था।

************************

यश उदास रहने लगा। घर वाले उसकी शादी के दबाव बनाने लगे पर उसने शादी नही करने के लिये स्पष्ट कह दिया था। सब निरूत्तर थे। 

यश का गौर वर्ण.. रौबीला चेहरा.. मांसल देह व सबके मन को मोह देने वाला व्यक्तित्व था... फुर्तीला गजब का था.. गॉव में जब भी कबड्डी या कोई खेल होता.. उम्दा तरीके से अपनी टीम को विजयी बनाता। साहस तो कूट-कूट कर भरा हुआ था। गॉव में एक बार डकैतों का हमला हुआ था। उसने अकेले दम पर डकैतों के छक्के छुड़ा दिये थे, उस दिन तो सारे गॉव में उसकी जय-जय होने लगी थी। दमयंती के आँखों में बस गया था वों।

वो मौके की तलाश में रहती कैसे यश से मुलाकात हो जाये। गॉव की एक शादी में दोनों के नैन मिले फिर क्या था दमयंती का चेहरा शर्म से लाल हो गया था। 

दोनो की मुलाकात अनवरत् होने लगी थी। दोनों के मकान के बीच में कोलिया (मकानों के बीच पतली गली) थी। वहॉ किसी का भी आना-जाना नही होता था। यश को याद है उसने पहली मुलाकात में दमयंती को कस कर अपनी बाहों में भींच लिया था। दमयंती तो पिघल गयी हो उसके बाहों में।

मेला हो या कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम कोई मौका नही चूकते थे दोनों मिलने का।

************************

जाति-धर्म-कुनबा और न जानें कितनी शब्दावलियाँ है जो प्रेम में आड़े आती रही है। न जाने कितने दिल टूट कर बिखर गये होंगे। समाज की बंदिशें प्रेम पर ही इतना ज्यादा क्यो हैं....

दमयंती की स्थिति पिंजड़े में बंद एक चिड़ियाँ जैसी हो गयी थी। आकाश देख तो सकती है पर छू नही सकती। 

आज शादी को एक वर्ष हो गये थे। शादी की वर्षगाँठ ससुराल में बड़ी ही धूमधाम से मनाने की परम्परा थी। विजय कों घर के बड़ो ने ताकीद की थी शाम को समय से घर आने का। मै बहुत खुश थी।

घर बहुत अच्छे ढंग से सजाया गया था। उत्सव जैसा माहौल था घर पर। मेहमानों के आने का क्रम शुरू हो गया था।

विजय को छोड़ सभी आ गये थे।

तभी पुलिस की एक गाड़ी आयी। उस गाड़ी में सफेद कपड़ो में लिपटा कोई मृत शरीर भी था। तभी हवा का एक झोंका आया सफेद कपड़ा आधा उड़ गया था। दमयंती के पॉवों से जैसे ज़मीन ही खिसक गयी थी। वो विजय था। घर में मातम मच गया था।

कुलक्षणी के आरोप लगने लगे। दमयंती को मायके पहुँचा दिया गया।

************************

यश को मुझसे भरपूर सहानुभूति थी। 

मै एक दिन मंदिर की परिक्रमा कर रही थी.. तभी वों मुझे वही मिल गया। उसी कोलिया में मिलने के लिये बोल कर निकल गया था। 

थोड़ी देर बाद मै भी पहुँच गयी थी। उसने मुझे जैसे ही पकड़ा। मै अपने आपे में नही रही थी। बहुत देर तक एक दूसरे में खोये रहे।

बारिश का मौसम था। मेरे घर कोई नही था। सिर्फ मै अकेली। यश एकाएक किसी बहाने आ गया था। दोनों अपने आपे में नही थे....

घर में कोहराम मच गया था..

"रे नाशपीटी!!!!! किसका पाप ले आयी....."

आज फिर एक डोली उठ रही थी सफ़ेेद कपड़ो  में.....

@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...