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मंगलवार, 3 जनवरी 2023

बाटी-चोखा

ऑफिस के मित्रों के साथ बाटी चोखा का आनन्द लेते हुयें....वैसे हमारे पूर्वांचल में बाटी को लिट्टी नाम से और चोखा को भरता बोलते है। इसे हम पूर्वांचल का शाही व्यंजन बोल सकते है। इसकी खोज निःसंदेह तभी हुई होगी जब रोटी सेंकने के लिये तवा न मिल पाया होगा या जंगल में भटकने के दौरान ऐसा कुछ हुआ होगा या युद्ध के काल में सैनिकों ने कुछ ऐसा पेट भरने के लिये किया होगा..


बाटी गोल गोल होता है। पंचमेल दाल इसमे चार चाँद लगा देता है। बाटी शुरुआत में आटे के गोले के रूप में ही रहा होगा। बाद में इसके साथ कई प्रयोग हुयें होंगे जिससे ये और भी लजीज हो सके। बाटी में सत्तू इत्यादि भरा जाने लगा। वैसे कुछ भी हो कई सदियों तक बैगन का अस्तित्व बचाये रखने में ये चोखा मददगार होगा...

@डॉ विपिन "व्याकुल"

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...