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रविवार, 30 मई 2021

फिल्म न्यूटन और जम्मू कश्मीर चुनाव - 3

गतांक से आगे...

चुनाव में जाने से पहले धर्म ग्रन्थ "गीता" ले जाने को कहा गया था। एक छोटा ट्रांजिस्टर भी। मै अपना परिवार प्रयागराज छोड़ आया था।

कश्मीर जाने से पहले लोगो के परिवार में बहुत सी चिन्तायें थी। लोग ड्यूटी कटवाने में लगे हुये थे चिकित्सीय आधार पर। मेरी युवावस्था थी कौन सा बहाना बनाता।
कश्मीर के एअर पोर्ट पर पहुँचते ही एक अलग ही एहसास महसूस हुआ।
कैमरा था नही पास में। बी. एस. एफ. के कुछ जवानों से अच्छी मित्रता हो गयी थी। एक जवान ने बीड़ा उठाया, "सर, आप चिंता न करे फोटो आपके पास भेज दूँगा।" मैने उनको पता दे दिया था। बाद में सारी फोटो मेरे पते पर भेज दिया गया था। कमाण्डेंट स्तर के अधिकारी बहुत चौकाने वाले अनुभव शेयर करते थे।
                                           @विपिन

मुझे भाषा सीखने की बड़ी दिलचस्पी रही है। वर्णमाला तो नही पर कुछ कश्मीरी वाक्यों को लिखता व बोलने की कोशिश करता। आज भी जब किसी कश्मीरी को कानपुर में मिलता हूँ तो उन वाक्यों को अवश्य ही दुहराता हूँ। लेकिन जैसे ही वे क्लिष्टता की ओर बढ़ते मै आत्मसमर्पण कर देता हूँ।
कश्मीर के अधिकांश लोगों में मेहमान नवाजी गजब का देखा। 1-2 गॉवों मे चुनाव ड्यूटी के समय उनके साथ नाश्ते का मौका मिला। लगा ही नही इतनी दूर चुनाव ड्यूटी में हूँ।
@व्याकुल
क्रमशः

फिल्म न्यूटन और जम्मू कश्मीर चुनाव - 2


गतांक से आगे...

पहली बार चुनाव में EVM का प्रयोग हुआ था। पट्टन के चुनाव के बाद अगले चरण के लिये टंगमर्ग ले जाया गया। हर एक बटालियन मे 20 चुनाव कर्मी थे। बी.एस. एफ. के जवान बड़ा ही ध्यान रखते थे हम सभी का।
टंगमर्ग बहुत ही संवेदनशील जगह था। वहॉ रात्रि में एक मेजर, जो इलाहाबाद के थे, से मुलाकात हुई। इलाहाबाद के नाते मुझसे काफी बाते की उन्होनें।
                                            @विपिन

टंगमर्ग में ठहराव के दौरान बी.एस. एफ. वाले हम सभी चुनाव पार्टियों को गुलमर्ग भी ले गये। वहाँ काफी इंज्वाय किया हम सभी ने।
                                           @विपिन

चुनाव में औसत वोटिंग प्रतिशत रहा था। चुनाव में बूथ पर एक दिन पहले न जाकर वोटिंग वाले दिन ही जाना होता था। प्रपत्र अंग्रेजी भाषा में ही होता था।
चित्र: टंगमर्ग में गंडोला के सामने।
@व्याकुल
क्रमशः

फिल्म न्यूटन और जम्मू कश्मीर चुनाव - 1

 

छुट्टियों में बेहतरीन फिल्म देखने का एक अलग ही मजा होता है। न्यूटन फिल्म किसी नक्सली क्षेत्र में चुनाव ड्यूटी को लेकर बनी है। न्यूटन फिल्म देखते जा रहा था और मुझे 2002 में अपनी ड्यूटी याद आ रही थी जो कि कश्मीर के विभिन्न जगहों पर लगी थी और लगभग मै वहाँ एक महीने रहा था।
लखनऊ से लादे गये और पहुँच गये कश्मीर। शायद वो श्रीनगर का एअरपोर्ट था। वहॉ पहुँचते ही एक हमारे चंचल मित्र किसी फलदार वृक्ष पर चढ़ गये थे और डाल हिला हिला कर लोगो को फल चखने का मौका दिये। बी.एस.एफ. वालो के कहने पर नीचे आये।


@विपिन
श्रीनगर से हम लोगो को पट्टन भेज दिया गया था। श्रीनगर से पट्टन जाते वक्त ऐसे कई बढिया मकान दिखे जो खाली ही था और लग रहा था जैसे सालों से कोई रह न रहा हो। जिस जगह ठहराया गया था उसके ठीक सामने सेब का बाग था। जब सेब खाने का मन होता हम सभी चले जाते और सेब जेबों में भर लाते। बी.एस.एफ वाले बताते थे कि वो बाग किसी कश्मीरी पंडित का था।
पट्टन 7 दिन तक रहा। गोलियों की आवाज सुनाई देना सामान्य बात रहती थी। पट्टन से उड़ी सेक्टर की दूरी ज्यादा नही थी।
बड़ा ही अफवाह व भय का माहौल रहता था....
@व्याकुल
क्रमशः

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...