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रविवार, 19 सितंबर 2021

द्विचक्रिका

 

हवाओं से बात करूँ

जो रख सकूँ पाँव पैडिलों पर

गलियों की हूकूमत करूँ

जो बैठ सकूँ तिकोन सीट पर..


मुनादी करवा दी जंगलों में

जो बजा दी तेज घंटो को

तीनों लोक नाप सके पल में

जो चलाये तेज चक्रों को

@व्याकुल



नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...