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रविवार, 26 फ़रवरी 2023

चमचागीरी

 


आज जब चमचागीरी एक शान का विषय माना जाता है व किसी बड़े नेता के आगे-पीछे फोटो खिचवाना गर्व का विषय समझा जाता है। राजा हरि सिंह ठीक इसके उलट थे। वो चमचागीरी से बहुत ज्यादा चिढ़ते थे। उन्होनें चमचागीरी के लिये एक खिताब तय किया था जिसका नाम ‘ख़ुशामदी टट्टू’ था। इसमे बन्द दरबार में हर साल सबसे बड़े चमचे को "चाँदी और काँसे के भीख माँगते टट्टू की प्रतिमा" दी जाती थी। आज आवश्यकता है हर स्तर पर इस तरह के ‘ख़ुशामदी टट्टू’ जैसे पुरस्कारों की शुरुआत करने की ताकि चिन्हित किया जा सके चापलूसों को।


@डॉ विपिन "व्याकुल

धाकड़ पथ

 धाकड़ पथ.. पता नही इस विषय में लिखना कितना उचित होगा पर सोशल मीडिया के युग में ऐसे सनसनीखेज समाचार से बच पाना मुश्किल ही होता है। किसी ने मज...