वह जोमैटो में डिलीवरी बॉय बन गया था। रात दिन कभी इधर तो कभी उधर। बस शहर के चक्कर लगाते रहना है।
कभी किसी कॉलेज के हॉस्टल में जाना होता था तो कॉलेज के पुराने दिन याद आ जाते थे यह भी याद आता था की कैसे उसका विद्यार्थी जीवन आनंदमय रहा था।
कभी सुबह के नाश्ते में पोहा बड़ा ही पसंद आता था। उसकी वजह यह थी कि मिताली को सुबह पोहा कैंटीन में चाहिए था। वह मिताली को बेहद पसंद करता था तो उसने भी पोहा खाने की आदत बना ही ली थी और कितनी ही बार मैंने उसका पेमेंट भी किया था।
मैंने तो पोहा ही खाना छोड़ दिया था जबसे कॉलेज लाइफ छोड़ा। आज अचानक पता नहीं क्यों मिताली बहुत ही याद आ रही थी जैसे लग रहा था कि वह इसी शहर में कहीं है।
एक फ़ूड कोर्ट मैं आर्डर लेने के लिए खड़ा ही था मुझे कैश में एक महिला दिखाई दी। मेरे तो जैसे पंख ही लग गए थे। मैं ध्यान से देखा तो मिताली ही लगी।इतने बड़े रेस्टोरेंट की मालकिन। मै खुश हो गया। मैं तुरंत बाइक को स्टैंड पर लगाया और पास गया। " मिताली!!! पहचाना" उसने बोला, ” मुझे याद तो नहीं आ रहा” मैंने कहा, "हर सुबह हम लोग दिल्ली कॉलेज कैंटीन में पोहा खाते थे" "क्या तुम्हें कुछ भी याद नहीं” उसने कहा, ”कुछ भी याद नहीं, पहले यह बताओ तुम क्या कर रहे हो” मैंने बताया कि "मैं जोमैटो में डिलीवरी बॉय हूँ" उसने बोला, "सॉरी, पहचान नहीं पा रही हूं” मैंने कहा, ”ठीक से देखो, मै मुकेश।"
"मै किसी मुकेश वुकेश को नहीं जानती" पर यह याद रखना डिलीवर करने जाते हो तो फीडबैक लेना मत भूलना।
सारे स्टाफ के चेहरे पर व्यंगात्मक हसीं थी। इस जवाब से मैं ज़मीन में गड़ गया। चलते वक्त सिर्फ इतना ही सुन पाया था की "यह तब भी लफँगा था और आज भी वैसा ही है।"
मै बहुत जल्दी वहां से बहुत दूर चला जाना चाहता था।
@डॉ विपिन पाण्डेय "व्याकुल"