मेरे रोम रोम में
नस नस में
सिर्फ तू
और तू
कैसे कहू
तू
कहाँ नही..
हँसता भी
हूँ
तो
खिलखिलाहट
भी तू
रोता हूँ
तो
बेचैनी
भी तू..
इबादत
में भी
सिर्फ तू
करवटें
जब भी
ली
अचैतन्य
में भी
तू..
क्यों समा
से
गये हो
ये
प्रश्न है
तुझसे
हाँ
तुझसे ही..
हाँ
एक बात
जाना तो
साथ
ही जाना
अकेले
गये
तो
किसी को
मै नही
दिखुँगा
हाँ पर
निष्प्राण
अवश्य
हो
जाऊँगा..
@व्याकुल