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शनिवार, 11 सितंबर 2021

बताशा: डायबिटीज निवारण सूत्र

बहुत से शहरों में बताशा गली... बताशा मंडी मिल जायेंगे... हमारे जिला भदोही के एक ब्लॉक सुरियाँवा में भी बताशा गली है... किसी जमाने में उस गली में गजब की भीड़ हुआ करती थी। आखिर हो भी क्यों न??? बताशा किसी दिव्य मिठाई से कम थी क्या???? दिव्य तो थी... छोटे वाले बताशा तो दैवों के प्रिय हो गये पर बड़े वाले अनाथ हो गये। ऐसे अनाथ हुये कि बेगारी के शिकार हो गये।

मुझे तो उस गली के मुहाने पर चाय-पकोड़ी की दुकान बखूबी याद है। फिर क्या????कौन छोड़ता है भाई।

बड़े बताशे को पानी में डूबोकर खाने में जो आनंद प्राप्त होता था वो हमे सिखाता था किं हम timing या समय पर कैसे किसी कार्य को करें। बताशा गले भी न और पानी से डूबोकर खाना मन प्रफुल्लित कर देता था।

           चित्र: गूगल से

मुझे तो बताशे के ऊपर की चिकनाई बेहद पसंद थी। बस छूते रहो। इसकी चिकनाई और बिच्छू की चिकनाई एक जैसी लगती थी।  एक बार तो बिच्छू को घंटो सहला डाला था। बताशे के चक्कर में ऊँगली में पता नही क्या जादू आ गया था किं बिच्छू तक ने डंक को सिकोड़ लिया था।

इलाहाबाद की फुलकी कानपुर आकर बताशा बन गयी और अमर हो गयी....

वैसे तमाम बिमारियों का संबंध हाजमें से है और ये हाजमें को दुरूस्त रखता है...

डायबिटीज वालों को विशेष रूप से बताशों को खाना चाहिये। हो सकता है उन सबकों बताशा का श्राप लग गया हो.....

देर किस बात की... घूम आइये आप भी किसी बताशा गली में..............


@व्याकुल

मंगलवार, 7 सितंबर 2021

साक्षरता


विश्व साक्षरता दिवस की शुभकामनाएँ

साक्षर
वो जो
लिखे शब्दों 
की
चतुराई
भाँप सके
न की
जोड़ें
वर्णमालाओं को
घंटों में..

@व्याकुल

सोमवार, 6 सितंबर 2021

कुलगुरु

नाम बदलने से क्या शिक्षा व्यवस्था सही हो जायेगी.. गुरु शब्द का अर्थ भारी या वजनदार भी होता है.. ये शब्द जोड़ने से क्या पद वजनदार हो जायेगा???? खैर मेरे कई मित्र एक कुन्तल के है... मै भी हूँ..वर्तमान परिदृश्य में तैरना आना चाहिये... हल्का इतना भी न हो... इधर की उधर करता रहे... नाम बदलने का मुख्य उद्देश्य पुरातनता का बोझ देना होगा.. तभी इतना भारी शब्द लाद दिया... देखते है कौन किसको ढो पाता है... व्यवस्था गुरु को या गुरु व्यवस्था को....!!!!!!!


विश्वविद्यालय में पहले वाले गुरु का कद अब छोटा हो जायेगा... वो कैटेगरी में छोटे गुरु हो जायेंगे... ये वाले बड़े गुरु... सब कहते फिरेंगे बड़े वाले गुरु.. माफ कीजियेगा.. बड़े वाले नही..सिर्फ बड़े गुरु...

किसी ने अगर कह दिया किं "जा रहा हूँ गुरु से मिलने", तुरन्त प्रत्युत्तर आयेगा "कौन वाले????"

अब कुछ लोग गुरु के अलग-अलग अर्थ निकालेंगे... पता नही कौन वाला अर्थ सेट हो जाये...

मुझे तो चिंता "गुरु गोविंद दोऊ खड़े..." की हो रही..

जय हो!!!!!!!!!

@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...