बड़े बड़े लोग चापलूसों के आगे नतमस्तक रहते है। चापलूस लोग महिमामन्डन मे पीछे नही रहते है। व्यक्ति को एहसास दिला ही देते है किं इस धरा पर आप जैसा शूरवीर नही.. मजाल है कोई दूसरा सही बात कह पाये.. जिसकी सत्ता आने वाली हो या आ चुकी हो उसकी चिंता कर स्थान बना लेते है ये वैसे भी सत्ता से दूर नही रह पाते.. सत्ता से दूर ये ऐसे लगते है जैसे किसी ने इनको बहुत दिन से भूखा रखा हो या गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दिया हो.. इनका प्रयास जारी रहता है कैसे घुसपैठ किया जाय.. कुछ सत्तासीन को यही चापलूस लोग ही पसंद है इनके बिना सत्ता कुछ फीकी फीकी सी लगती है..बड़ी बड़ी साहित्यिक रचनायें रच गयी इस चक्कर में.. चालीसा तक लिख डाली लोगों ने..
चापलूसों की भी श्रेणी अलग-अलग होती हैं। कुछ लोग जीवनी लिखने के बहाने नजदीकी बनाते है। कुछ जरूरत से ज्यादा चिंता करके जगह बनाते है। कुछ सतत् उपस्थिति दर्शाकर।
ऐसे लोगों का आत्मविश्वास भी गज़ब का होता है। चेहरा भी दयनीय बना लेते है। एक बार वरदहस्त प्राप्त हो जाये फिर तो पूछियें मत।
बहुत ही ज्यादा समर्पण कर देते है यें खुद को। अब तो जमाना सोशल मीडिया का है। मजाल है चरण पादूका सर पर रखने का कोई मौका चूक जायें।
इनका पूरा एक ग्रूप है हर पार्टी में है यही गठबंधन में भी अहम् भूमिका निभाते है.. हर पार्टी को अपने लोगों के बीच में से ही चापलूसों को चिन्हित करना होगा..
@व्याकुल