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मंगलवार, 14 सितंबर 2021

पाचन

मै पिछले दो वर्षो से बहुत ही परेशान रहा। सन् 2020 में 2-3 महिने लॉकडाउन में घर बैठना हो गया। फिर 2021 में एक महीने। इन दो वर्षो में अपच्य का शिकार हो गया। गैस का तो पूछिये ही मत। दिन भर गैस। जिंदगी में नही सोचा था किं मुझे कब्जियत भी होगी। 

खैर!!!!! होमियोपैथी से इलाज शुरू किया। जब तक इलाज चलता रहा तब तक ठीक रहा। फिर वही लक्षण व बीमारी। मै परेशान हो गया। 

इसके बाद आयुर्वेदी पद्धति पर आ गया। दवाइयां ली। पर फिर वही। मै परेशान हो गया था। इतनी भयंकर समस्या थी कि बाईक नही चला पाता था। कुर्सी पर बैठना तो मुश्किल ही था। ये बीमारी भी ऐसी होती है कि आप ज्यादा किसी से शेयर नही कर सकते। 

वैसे मै हमेशा से ही दवाइयां खाने से बचता रहा हूँ। मुझे लगता है किं किसी भी बीमारी का इलाज नैसर्गिक (natural) तरीके से करना चाहिये। भले ही आपकों खान-पान से समझौता करना पड़े।

मैने दवाइयां सब बंद कर दी। प्रण ले लिया था खान-पान सुधारने के लिये।

सबसे पहले गाज गिरी समोसा व बताशे (फुल्की) पर। पूड़ी, तेल की बनी सारी चीजे बंद की। जब इन सब चीजों पर नियंत्रण पा लिया। फिर आया शाम के भोजन पर। बहुत ही नियंत्रित भोजन लेने लगा। शाम का भोजन छः बजे तक करने लगा। कभी-कभी पौष्टिक तरल से ही काम चलाने लगा। सिर्फ सुबह पूरा भोजन लेता। बाकि समय लिक्विड। 

परिणाम आश्चर्यचकित कर देने वाले थे। गैस का राम नाम सत्य हो गया। कब्जियत शब्द को भूल चुका हूँ। 

अभी सुबह का टहलना... रात जल्दी सोना और नियमित रूप से व्यायाम पर चिंतन जारी है....

@व्याकुल

नियति

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