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सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

नाम

एक बात तो समझ में आती है की सिर्फ नाम अच्छे हो जाने से ही प्रसिद्धि नही मिलती... कभी कभी यह देखने में आता है इतिहास में खलनायक के रूप में प्रसिद्द व्यक्ति का नाम रखने से भी कुछ अच्छा हो जाता है.. लोग नामकरण को लेकर परेशान रहते है... नाम कुछ भी रखिये संस्कार जबरदस्त होने चाहिए... मेरे यहाँ एक विद्यार्थी जिसका नाम दुर्योधन था, बड़ा ही शर्मिला था, जब पूूँछू ये नाम क्यों रखा, हमेशा बोलता सर नाम में क्या रखा है... 

चिढ़ाने के लिये कोई भी नाम रखा जा सकता है... रावण.. कंस इत्यादि इत्यादि। किसी से खफा है तो पक्के तौर पर खलनायक नामों से नवाजते है। एक शख़्स तो अपने ही पिता से इतना चिढ़ते थे कि उनका नाम डॉ डैंग ही रख दिया। ये नाम शायद किसी फिल्मी खलनायक का था। फिल्मी खलनायकों के नाम भी गज़ब ढाते है। गब्बर को ही ले लीजिये। गब्बर नाम कोस- कोस ही नही देश-देश में चल निकला।

हमारे एक मिलने वाले अपने पड़ोसियों के नाम लालटेन-ढिबरी रखे थे।अब बताइयें क्या करेगा पड़ोसी...

भाई अब कानपुर में ठग्गू के लड्डू की ही बात कर लो.. इसमें बुराई क्या है.. जबरदस्त व्यवसाय चल रहा है.. बदनाम चाय ही देख लो काकादेव का.. बुरा नाम रख लो कंस,दुर्योधन, या इस टाइप से कुछ भी.. अगर आप सफल हो गए तो इन नामो को भी मोक्ष मिल जाएगा.. 

@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...