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गुरुवार, 26 मार्च 2020

हिन्दू चिन्तन



थियोसॉफिस्ट डॉ. एनी बेसेंट कहती थी "मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बड़े धर्मों का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है।"
ऐनी बेसेन्ट का उल्लेख यहाँ इसलिये किया क्योंकि हम लोगो की प्रामाणिकता विदेशी ही देते है ऐसा मै बचपन से देखता आया हूँ। आप चिल्लाते रहिये हमारी संस्कृति, परम्परा या किसी भी मूल्यवान संस्कार के विषय में। कोई नही सुनेगा। विवेकानन्द जी को प्रामाणिकता शिकागो से मिली।
ये धर्म तो सनातनी है मानव उत्पत्ति से पहले का। यह वेदो पर आधारित धर्म है इतना सब कुछ होते हुए भी यह अपने अंदर कई मत, संप्रदाय व उपासना पद्धतियों को समेटे हुए है व कट्टर तो कभी हुआ ही नही।  दर्शन के दृष्टि से भी हम धनी है क्योकि दर्शन हमे लक्ष्य देता है। हिन्दू धर्म अध्यात्म व संस्कृति के दृष्टि से भी सौभाग्यशाली रहा है
यही द्वंद हमेशा से ही मन मे रही अध्यात्म व संस्कृति की। अध्यात्म वो जो आपके भीतर जबकि संस्कृति में उसका परिलक्षित होना है। यही अंतर आप विज्ञान व धर्म में कर सकते है विज्ञान आपको बाहरी ताकत दे सकता है जबकि धर्म अंदर की।
हिंदू धर्म के संस्कृति की बात करे तो आजकल अक्सर आलोचना सुनने को मिल जाती है "असहिष्णुता" है इसमे। वही पिछले 1000 वर्ष के आततायियों पर नजर डालते है व उनको सामानांतर आत्मसात इतने सरल ढंग से किया फिर मन सकारात्मकता से भर गया। इस धर्म की विशाल ह्रदय का भी द्योतक है।
यही बात तो जर्मन दार्शनिक शॉपनहार भी कहते है कि
"जीवन को ऊँचा उठाने वाला उपनिषदों के समान दूसरा कोई अध्ययन का विषय सम्पूर्ण विश्व में नहीं है। इनसे मेरे जीवन को शांति मिली है, इन्हीं से मुझे मृत्यु के समय भी शांति मिलेगी।"
सर्वधर्म समभाव की भावना जितना हिन्दू धर्म समेटे हुए है उतना विश्व के किसी धर्म में नही। इसके लिये ऋगवेद का एक प्रसिद्ध सूक्त का संदर्भ देना समीचीन होगा ‘आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु वि‍श्वत:’ यानी कल्याणकारी सद्-विचार हमारे लिए सभी ओर से आएं ।
अंत मे एक सबसे प्रसिद्ध श्लोक सहिष्णुता पर प्रामाणिकता देते है
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्वि नावधीतमस्तु। मा विद्विषावहै।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।।(कठोपनिषद -कृष्ण यजुर्वेद)
ईश्वर हम सब की साथ-साथ रक्षा करें, हम सब का साथ-साथ पालन-पोषण करें, हम साथ-साथ शक्ति प्राप्त करें, हमारी प्राप्त की हुई विद्या तेजप्रद हो, हम परस्पर द्वेष न करें, परस्पर स्नेह करें।

@व्याकुल

जय हिन्द । जय भारत
#विपिन #सर्वधर्मसमभाव #वेद #हिन्दूचिंतन #सहिष्णुता

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