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रविवार, 13 फ़रवरी 2022

गॉव की ओर


कुछ 

ठहराव लें

प्रतिदाय

करें

उन हवाओं का 

जो आज

भी

फेफड़ो

को

निर्मल कर

रही...


नथुने तक

माटी की 

सोंधी खुशबु

उच्चस्तरीय

मानकीय

इत्र से भी

टिकाऊ...


कितना दूर 

का सफर

रहा

गॉव से 

शहर तक का

सात

समुन्दर

भी लाँघ

गये

माटी की

परीक्षा

आखिर

कब तक....


स्नेह सिंचित

कर तुम्हे

बहुक्षम बनाती

याद करो

पोखरा

भैस की

सवारी कर

खुद यमदूत

बन जाया

करते थे....


अश्रु मिश्रित

आमंत्रण

स्वीकार कर

लो

और

लौट जाओ

जड़ 

की ओर....


@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...