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बुधवार, 3 नवंबर 2021

दीपावली


घटनायें कभी-कभी बड़ी सीख दे जाती है। अनुभवहीनता भी घटनाओं को जन्म देता है। दिवाली के दिन की घटना है। मै ममेरे भाई, जो मुझसे 3-4 वर्ष छोट होंगे, के साथ रॉकेट छुड़ाने जा रहा था। तब मै 8-10 वर्ष का रहा था और वह 6-7 वर्ष का। गोल-मटोल था वह। भैया, ये रॉकेट छुड़ा दीजिये। हम लोगो ने खाली बोतल का इंतजाम किया। छत पर कोई और नही था। रॉकेट को बोतल में डालकर माचिस लगाई। मेरे तो जान निकल गयी थी। रॉकेट के दिशा को देखा ही नही था। वो उसके बाल को छूते निकल गयी थी। मेरे हाथ-पाँव सूज गये थे। बहुत दिन तक परेशान था कि अगर वह रॉकेट उसके चेहरे से टकरा जाता तो क्या होता??? और वो हँसते मुस्कुराते चला गया था किं मैने रॉकेट छुड़ाया। उसे शायद आभास ही नही था कि एक बड़ी दुर्घटना से वो बच गया था। 

आज तक कभी किसी से शेयर करने से डरता रहा। बच्चों को जब भी पटाखे दें साथ जरूर बैठे। थोड़ी चूक जिन्दगी भर की मुसीबत बन सकती है। उस घटना के बाद जब भी पटाखे छुड़ाने जाता पूरी सुरक्षा का ध्यान रहता।

कोई ऐसी दिवाली नही जब मैने उस घटना को याद न किया हो। मजे की बात आज वो भाई इंजीनियर है और अमेरिका मेट्रो में अपनी सेवायें दे रहा।

@व्याकुल

नियति

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