FOLLOWER

बुधवार, 9 मार्च 2022

मुगालता




राबता उजालों पर क्या करना

सूकूँ तलाशने लगें अँधेरों को


दर्द जो दब गयी हँसी में

दॉव क्या लगाना चेहरों पर


साँसों ने भी तमाम उम्र देखा

दम घुट कर जो मुकर जाना है


बसेरा रह गया किनारों पर

बोली जो लग गयीं बाजारों में


शागिर्द था वों ताश के पत्तों का

खाली ही रहा जाने से पहले


मुगालते का टूट जाना ही था "व्याकुल"

क़रार भी खूब रहा फकीरी का


@व्याकुल

मंगलवार, 8 मार्च 2022

लेमनजूस टॉफी पाँच पैसे के

इसका भी जमाना था । इसका उपयोग या तो टॉफी खाने में करते थे या गेंद खरीदने के लिये चंदा के तौर पर।

पाँच पइसे के तीन लेमनजूस टॉफी मिल जाती थी । टॉफियों पर रैपर नही होता था । संतरा नुमा टॉफियों का स्वाद संतरा जैसा होता था । कुछ गोल टॉफियाँ भी आती थी जिस पर लाल-नीली-हरी धारी बना रहता था। 


रबर की गेंदे सस्ती होती थी पर उछाल बहुत लेती थी। कैनवास की गेंदे ज्यादा सही होती थी पर कैनवास महँगी होती थी। जेब में हाथ डाल चेक कर लिया करता था। गलती से फटी ज़ेब न हो बस।

@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...