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मंगलवार, 1 जून 2021

अनंत चतुर्दशी व मलॉव के पाण्डेय

अनंत चतुर्दशी के दिन मेरे मनो मस्तिष्क में एकाएक एक घटना आकर अटक गयी जो वर्षो पूर्व घटित हुई थी जिसका जिक्र राहुल सांकृत्यायन ने अपनी पुस्तक "कनैला की कथा" और "मेरी जीवन यात्रा" में किया है।

इतिहास के पन्नों में मलॉव गांव (जिला गोरखपुर) की गौरवगाथाएं दर्ज हैं दस्तावेज के मुताबिक 16वीं सदी में डोमिनगढ़ के डोमकटार राजा की पत्नी तीर्थ के लिए वाराणसी जा रही थीं। रानी को किसी ने बताया था कि मलॉव के कुँए का पानी पीने से बंध्या पुत्रवती हो जाती हैं। वीर संतान पैदा करने की अभिलाषा से रानी ने मलॉव में अपना कारवां रोककर वहॉ के कुँए से पानी मंगवाया। मलॉव के पाण्डेय लोगों ने रानी के आदमियों को पानी भरने से रोक दिया। तीर्थ से लौटकर रानी ने राजा को अपने अपमान की दास्ताँ सुनायी। अनंत चतुर्दशी को मलॉव के पाण्डेय लोग व्रत रखते और हथियार साफ कर उन्हें सजाते थे। उसी दिन राजा ने निहत्थे लोगों पर धावा बोल दिया। मलॉव के बच्चो तक को नही छोड़ा गया था। महिलाओं को भी आक्रमणकारियों ने नहीं बख्शा गया था। जिस कुँए से रानी को पानी नहीं लेने दिया गया उसको ऊपर तक लाशों से पाट दिया गया। यहाँ कोई नहीं बचा था।
इस दिन के बाद से मलॉव के पाण्डेय अनंत चतुर्दशी नही मनाते।
@व्याकुल

नियति

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