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रविवार, 12 सितंबर 2021

भस्मासुर

अभी हाल ही में अफगानिस्तान की घटना देखी व सुनी। तालिबान का जिस तरह से काबुल में कब्जा किया गया भस्मासुर की याद दिला गया। जहॉ तक मुझे समझ है ये तीन घटनायें एक जैसी ही है। 

पहली घटना भस्मासुर की है, भस्मासुर को शिव जी का वरदान था वो जिसके सर पर हाथ रखेगा भस्म हो जायेगा। भस्मासुर वापस उल्टा शिव जी को ही भस्म करने का मन बना लिया। बड़ी मुसीबत में फसे वों। खैर, धन्य हो विष्णु भगवान जी का। स्त्री रूप धर चतुराई से भस्मासुर का वध कर दिया, तब जाकर शिव जी की जान बची। 

दूसरी घटना, भारत के पंजाब की। कैसे अकाली दल के वर्चस्व को खत्म करने के लिये भिण्डरावाले को खड़ा किया। उसके बाद की घटना से तो आप सभी वाकिफ ही है। पूरा देश धूँ-धूँ कर जल उठा था।

तीसरी घटना तालिबान की है। सोवियत संघ के वर्चस्व को खत्म करने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान का सहारा लिया था। पाकिस्तान सोवियत संघ से सीधे टकराने की बजाय तालिबान का गठन व प्रशिक्षित किया था। आधुनिक हथियार जैसे हवा में मार कर विमान को उड़ा देने वाले राकेट लॉन्चर, हैण्ड ग्रैनेड और एके ४७ आदि अमेरिका द्वारा उपलब्ध कराया गया था। बाद में खराब आर्थिक स्थिति के फलस्वरूप सोवियत संघ को अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा था। 

चित्र: गूूूगल से

फिर वही हुआ जिसकी चर्चा यहॉ कि जा रही है। 2001 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर में हमला हुआ। अमेरिका खिलाफ हो गया उन साँपों के खिलाफ जिसकों कभी उसने दूध पिलाया था।  

हम इतिहास से सीख नही लेते। दुश्मनी में बदला लेने में ये नही सोच पाते कि किसकों बढ़ावा दे रहे है। यही काम अमेरिका ने किया था। वों शीत युद्ध का समय था। सोवियत संघ के गिराने में खुद उस खंदक में गिर चुके थे।

फिर बारम्बार वही भस्मासुर को जन्म देते रहते है.....

@व्याकुल

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