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शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2021

कनक

कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय।

बचपन में अलंकार पढ़ते समय उक्त पंक्तियाँ रट ली थी।धतुरा तो गॉव में एक पड़ोसी को खाते देखा था। चार दिन तक बुत पड़े रहे वों। उनकी माई सारे संगी-साथी को गरियाती रही थी।  कम समय में ही पहले वाले कनक का अनुभव हो गया था। 

दूसरी वाली कनक तो ज्यादा खतरनाक थी। वैभव से जुड़ी चीज थी। समझने में समय लगा। गॉवों की शादी में कलेवा का परम्परा है। बौराने का प्रत्यक्ष उदाहरण कलेवा के समय देखा। दुल्हा रिषिया गया था सोने की चेन के लिये। बड़ा मनवनिया हुआ तब जाकर सब खत्म हुआ।

फिर तो जिनकों सोने की चेन मिली वो बुशर्ट या कुर्ते के ऊपर की बटन खोलकर लापरवाही वाले अंदाज में चेन निकाल देते थे जिससे लोगों को उनके बौराने का अंदाज लग जायें।

कुछ वर्ष पहले कानपुर में एक मजेदार घटना हुई। किसी बाबा ने घोषणा कर दी थी कि फलां जगह खुदाई की जाये तो सोने का भंडार मिलेगा। सरकार लग गयी थी खुदाई में। सारा हिन्दुस्तान बौरा गया था।

देख लीजिये कही आप में बौराने का कीड़ा तो नही लग गया..........

@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...