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मंगलवार, 3 जनवरी 2017

फ्यूजनामा...



पता नही क्यों.. कौन किसको फ्यूज कर रहा.. चचा भतीजे को फ्यूज कर रहे या भतीजे चचा को.. पब्लिक सुन सुन कर फ्यूज हो रही.. अमर चचा कन फ्यूज हो रहे.. कन फ्यूजड रामपुर वाले चचा राय दे दे कर करेंट दे रहे.. पुरा हिन्दुस्तान फ्यूज हो रहा.. नोट बंदी से नेता फ्यूज हो गये... कुछ अभी ये सोच कर फ्यूज है की पूरा हिन्दुस्तान कब सस्ता होगा.. मफ़लर वाले छद्म नेता भी फ्यूज है अब दाँव पर दाँव मिल रहे.. सुभाष बाबू और शास्त्री जी  के सूची में अम्मा को शामिल किये जाने के प्रयास से  फ्यूज वाले कन फ्यूज हो रहे है... पाकिस्तानी भी फ्यूज है ट्रम्प से.. ट्रम्प का चुनावी स्टंट था या भारत प्रेम.. सभी फ्यूज है आप फ्यूज तो नही हो रहे.. 

फ्यूज जादा न होइये..मरम्मत मुश्किल है.. सीधे मोक्ष है इसमे.. 

@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...