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शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

साझा

साझा 

कभी 

टिकता नही

मन का

ख्याल से

वाणी का

विचार से

राह का

पथिक से...


साझा

जिंदा

रहता है

जीवन की 

संझा व

चंद

लकड़ियों

 में....


@व्याकुल

सोमवार, 5 जुलाई 2021

साझा

 


साझा 

कभी 

टिकता नही

मन का

ख्याल से

वाणी का

विचार से

राह का

पथिक से...


साझा

जिंदा

रहता है

जीवन की 

संझा व

चंद

लकड़ियों

 में....

@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...