इसका भी जमाना था । इसका उपयोग या तो टॉफी खाने में करते थे या गेंद खरीदने के लिये चंदा के तौर पर।
पाँच पइसे के तीन लेमनजूस टॉफी मिल जाती थी । टॉफियों पर रैपर नही होता था । संतरा नुमा टॉफियों का स्वाद संतरा जैसा होता था । कुछ गोल टॉफियाँ भी आती थी जिस पर लाल-नीली-हरी धारी बना रहता था।
रबर की गेंदे सस्ती होती थी पर उछाल बहुत लेती थी। कैनवास की गेंदे ज्यादा सही होती थी पर कैनवास महँगी होती थी। जेब में हाथ डाल चेक कर लिया करता था। गलती से फटी ज़ेब न हो बस।
@व्याकुल