यूँ जिन्हे तलाश रहा
वों डरे हुए से बैठे है
नज़र कर मुझ पर
बावस्ता मंजिल हूँ
सिल दिये क्यों मुझें
तड़पता सा राह पर
इशारा ही कर देना
गले आ लिपटूँगी
वजह हो खफा का
या गुम हो शहर से
इधर महकती हवा से
पैगाम खुद का दे जाना
लहर सी तरंगे पैरों मे
खुद ब खुद चल दे
करे महसूसियत उनका
या आ जाना ख्यालों में
@व्याकुल