उदर पर हाथ रखें मन ही मन स्वयं से बाते कर रही थी तभी ठेकेदार की घुड़की कान पर पड़ी, 'सिर्फ बच्चे पैदा करवा लो' 'ऐसे ही लोग देश पर बोझ बने हुए है।'
उसको ऐसा लगा जैसे नींद से जग गयी हो। थक कर चूर हो गयी थी व पॉव कपकँपा रहे थे।
पति की बिमारी ने भी तोड़ कर रख दिया था टी.बी. की बीमारी से ग्रसित उसका पति रात भर खासता रहता था। वह सोचती जा रही थी गरीबी अभिशाप है, इससे मुक्ति कब मिलेगी। पिछले कई दिनों से पति की बीमारी व बच्चे को भी जनने की जिम्मेदारी। हमेशा ही पति को जबर्दस्ती करने से भी मना किया पर मानता कहा था और बच्चों के सामने...
आज सोच ही लिया था कुछ भी हो जाय जहर की पुड़िया ले ही आऊँगी । पर क्या, मेडिकल स्टोर तक पहुँची ही थी, सभी बच्चे उसके आँखों के सामने तैर गये थे वो बेबस भारी मन से लौट आयी थी ।
ईश्वर से उसकी बस यही ख्वाहिश थी सुबह न देखु । लेकिन गरीब की ख्वाहिश भी कभी पूरी होती है क्या??? आँसु ढलक जाते है असहाय सी अभिलाषा लिये, कभी कोई कृष्ण बन आयेगा गरीबी रूपी दुःशासन से उसको बचायेगा ।
©️व्याकुल