FOLLOWER

चकिया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
चकिया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

बॉयोग्राफी

किसी ने मुझसे बहुत वर्ष पहले कहा था... स्वास्थ्य ठीक करना हो तो अपने birthplace पर जाओ.. क्योंकि ये शरीर उसी माटी की है उस माटी से मिलकर प्रफुल्लित हो जाती है। हर्ष का अनुभव स्वंयमेव हो जाता है... आज बॉयोग्राफी एक सोशल मीडिया में लिखते वक्त कई बाते आँखों के सामने तैर गये....

कहानी सनाथपुर, सुरियाँवा, भदोही से शुरु होती है। कच्चा मकान तो नही कच्चे दलान को देखा था। ताश व आती-पाती बगीचे में दिन भर खेलते रहने... पुरानी बाजार में कपड़ा प्रेस कराना... डाकखाने में उत्सुकता से चिट्ठियों को खोजना फिर गॉव में उसका पत्र पढ़कर सुनाना... चौथार में आज भी पकोड़े का आनन्द लेना क्योंकि उसमे देशीपना की सोंधी महक होती थी। क्रासिंग के पास भरोस की दुकान की मिठाई व चाय से बच कौन पाया। टिनहवा टॉकिज व एक बंद कमरा में VCR से सिनेमा का आनन्द। मेरी बचपन से शिक्षा इलाहाबाद में होने के बावजूद छुट्टियों में चचेरे भाई के साथ उनके स्कूल मनीगंज.. जूनियर हाई स्कूल में एस. डी. आई. की आयत पर प्रश्नोत्तरी फिर सेवाश्रम कॉलेज में नकल कराना (चूँकि उस भाई से मै एक कक्षा आगे था)। बी.एल.... पी. पी... अपर इण्डिया... बुन्देलवा.... बम्बईया... (काशी एक्सप्रेस नही जानता था)... इलाहाबाद स्टेशन के पूछताछ काउंटर पर बम्बईया ट्रेन पूछना.. आस-पास वालों का व्यंग्यात्मक मुस्कान.. ए. जे. वा टरेन जंघई तक का सफर बाकी साथी विद्यार्थियों के साथ सफर गर्मियों में किसी पहाड़ों के सफर कम नही था। मेरा उत्तर मेरे बॉयोग्राफी में और मेरे अच्छे जीवन का यह बेहतरीन हिस्सा सदैव रहेगा जब भी कोई पूछेगा तुमने क्या जीवन जीया आज तक... 

@व्याकुल




नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...