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शनिवार, 29 मई 2021

जोरा-जामा

 जोरा-जामा

©️विपिन

आजकल शादी के बहुत दिन पहले से ही दुल्हा तैयारी शुरू कर देता है किं किस डिजाइन और कौन से रंग का शेरवानी पहनना है। दुल्हन के घर बारात लेकर जायें तो सबसे विशिष्ट लगे। बड़े शौक से शादी के कई महिनों पहले से तैयारियाँ शुरू हो जाती है। वर माला के समय के लिये अलग वस्त्र व रात में शादी के लिये दूसरा वस्त्र की खोज बड़ी शिद्दत से लोग करते है पर पुरानी शादियों में मैने कई शादियाँ ऐसी देखी थी जिसमें दूल्हा पीले रंग का वस्त्र धारण किये रहता था और रात भर वही पिताम्बर या पियरी धारण किये रहता था। सर पर बड़ा सा मौर एक अलग ही शोभा बनाते थे। मौर सर पर कपड़े की पट्टी से बँधा होता था। मौर को नाऊ काका ही कस कर बाँध सकते थे। जोरा जामा के नीचे धोती व बनियान धारण किये रहता था दूल्हा। बाद में कुछ लोग धोती की जगह पायजामा पहनने लगे थे। दिखावे की अँधी दौड़ व फिल्मी दुनिया की चकाचौंध ने इस परम्परा को हमसे छीन लिया।

©️व्याकुल 

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...