मँदिरों शिवालो में
खोटे व छोटे सिक्को से
हिकारत नज़रो से
ईश की डर से
हाथो पर सिक्के डालते रहते।
रह गयी हसरतें
अहसास पाप का
सिक्के कहा गये
कातर नज़रो से
कागज के टुकडो से
बदले हुए डर से
कटोरी मे नोट डालते ।
खोटे व छोटे सिक्को से
हिकारत नज़रो से
ईश की डर से
हाथो पर सिक्के डालते रहते।
रह गयी हसरतें
अहसास पाप का
सिक्के कहा गये
कातर नज़रो से
कागज के टुकडो से
बदले हुए डर से
कटोरी मे नोट डालते ।
परेशां व विस्मित हूँ
यह सोचकर
भ्रम को भ्रम समझूँ
या सत्य ।
@ व्याकुल