करूँ कैसे परिभाषाएं प्रकृति का
गर समेट लूँ निश्चल मन बाल पन का
देखना कौन चाहे श्रृंगार प्रकृति का
निहार सके है जो अलंकृत सद्गुणी का
भाषा किसने सुना है प्रकृति का
कायल हो सका है जो मृदुभाषी का
पहनावा गढ़े है वो प्रकृति का
जो झाँक सके है सौम्य अन्तर्मन का
कर न सके नकली मीत प्रकृति का
जैसे ज्योति हर सके है व्याप्त तम का
ढाल सके है कौन खुद को प्रकृति सा
आसान नहीं बनना भगीरथ गंगा सा
आओ देखे घाव भरा तन प्रकृति का
देख सके है जो अविरल आँशू लहू का
@व्याकुल