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बुधवार, 11 अगस्त 2021

कृष्ण


आत्मसात् करुँ कैसे 

इष्ट देव को अपने

पन्नें उलटू हरिवंश का

जो वर्णित करे

ग्वाल को

या भागवत पुराण के 

लीला को

या विष्णु पुराण के 

रहस्य को



मनाऊँ किस रूप को

आठवें अवतार विष्णु को

या आठवें वसुनंदन को


धन्य हो मथुरा जन्म से जिनके

इठलायें गोकुल बाल क्रीड़ा से जिनके

मोहें मनमोहक कान्हा

रेंगते घुटनों पर

बंशी बजाते नृत्य से

या माखन चोर से


पाप का नाश कर

कंस का वध कर

सारथी बन जीवन तारे

कर्मयोगी का पाठ 

पढ़ाकर

पथ दिखाये पार्थ को


पुकारूँ किस नाम से   

कृष्ण मोहन गोविन्द

गोपाल

माधव केशव

कन्हैया श्याम 

उलझता ही जाऊ

हर-पल प्रतिपल

नटवर बन छकाते

खूब हो

कभी जगन्नाथ बन या

या विट्ठल या श्रीनाथ

या द्वारिकाधीश बन


रूला गये गोपियो 

ग्वाल बाल को

त्याग गये भालका मृत्यलोक

चल पड़े वैकुंठ को


@व्याकुल



नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...