गतांक से आगे...
चुनाव में जाने से पहले धर्म ग्रन्थ "गीता" ले जाने को कहा गया था। एक छोटा ट्रांजिस्टर भी। मै अपना परिवार प्रयागराज छोड़ आया था।
कश्मीर जाने से पहले लोगो के परिवार में बहुत सी चिन्तायें थी। लोग ड्यूटी कटवाने में लगे हुये थे चिकित्सीय आधार पर। मेरी युवावस्था थी कौन सा बहाना बनाता।
कश्मीर के एअर पोर्ट पर पहुँचते ही एक अलग ही एहसास महसूस हुआ।
कैमरा था नही पास में। बी. एस. एफ. के कुछ जवानों से अच्छी मित्रता हो गयी थी। एक जवान ने बीड़ा उठाया, "सर, आप चिंता न करे फोटो आपके पास भेज दूँगा।" मैने उनको पता दे दिया था। बाद में सारी फोटो मेरे पते पर भेज दिया गया था। कमाण्डेंट स्तर के अधिकारी बहुत चौकाने वाले अनुभव शेयर करते थे।
@विपिन
मुझे भाषा सीखने की बड़ी दिलचस्पी रही है। वर्णमाला तो नही पर कुछ कश्मीरी वाक्यों को लिखता व बोलने की कोशिश करता। आज भी जब किसी कश्मीरी को कानपुर में मिलता हूँ तो उन वाक्यों को अवश्य ही दुहराता हूँ। लेकिन जैसे ही वे क्लिष्टता की ओर बढ़ते मै आत्मसमर्पण कर देता हूँ।
कश्मीर के अधिकांश लोगों में मेहमान नवाजी गजब का देखा। 1-2 गॉवों मे चुनाव ड्यूटी के समय उनके साथ नाश्ते का मौका मिला। लगा ही नही इतनी दूर चुनाव ड्यूटी में हूँ।
@व्याकुल
क्रमशः