FOLLOWER

शनिवार, 29 जनवरी 2022

शहीद दिवस



लक्ष्य

साधते

चीटीयाँ

कण-कण

समेटते...


सीमाओं 

पर

रक्त

बहाते

सहते वार

हाड़

कवच

से...


लघु

प्रयास

जन-जन

का

बन

अदृश्य

शक्ति

राष्ट्र निर्माण का...


नमन 

चेतन-अचेतन

राम-शबरी

पल-पल

शहीद

होते

प्रतिपल

लक्ष्य

भेंदते


@व्याकुल

अस्तित्व

 


शून्य ही

रखना

जुड़ सकू

कही भी

नही सम्भाल

पाऊँगा

दम्भ

मद

सा 

खुद को...


अट्टहास

कराने को

न 

बनू

दशानन

या

जलाया

जाऊँ

जन जन में...


आहार

बनू

चीटियों का

और 

ओढ़

सके

कोई उरंग

ढेर को....


@व्याकुल

शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

साझा

साझा 

कभी 

टिकता नही

मन का

ख्याल से

वाणी का

विचार से

राह का

पथिक से...


साझा

जिंदा

रहता है

जीवन की 

संझा व

चंद

लकड़ियों

 में....


@व्याकुल

नियति

  मालती उदास थी। विवाह हुये छः महीने हो चुके थे। विवाह के बाद से ही उसने किताबों को हाथ नही लगाया था। बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिये तैयार ...