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रविवार, 10 अप्रैल 2022

हरि मंदिर में राम नवमी

 

"भए प्रगट कृपाला दीनदयाला |

कौसल्या हितकारी।

हरषित महतारी मुनि मन हारी |

अद्भुत रूप बिचारी॥...."


मॉ की पूजा में ये स्वर आज के दिन विशेष रूप से सुनायी पड़ता था। प्रयागराज के मीरापुर मोहल्ला में हरि मंदिर में आज के दिन हर्षोल्लास का माहौल रहता था।

इस दिन भंडारे का भी आयोजन होता था। मेरी आयु बहुत ही छोटी थी। मुझे तो सिर्फ भंडारा ही समझ आता था। हरि मंदिर में प्रवचन का भी आयोजन होता था। मजे की बात ये थी कि ढोलक हमारे मुहल्ले के एक मुस्लिम बजाया करते थे। 

हरि मंदिर के ट्रस्टी में ज्यादातर पंजाबी लोग है जिनके पूर्वज सन् 1947 की त्रासदी झेले थे।

आज भी जब प्रयागराज जाता हूँ। हरि मंदिर मे अवश्य ही जाता हूँ। अब इस मंदिर में भीड़ कम ही देखने को मिलता है। मन दुःखी हो जाता है। सारी भीड़ का खिंचाव मॉ ललिता मंदिर में दिखायी देता है।

आज भी इस मंदिर में जाता हूँ तो दॉये हाथ की अनामिका अपने-आप बजरंग बली की मूर्ति को छू जाती है... जैसे मस्तक पर खुद टीका लगा लूँ... पर आयु अब बाल मन पर हावी हो चुका है...



राम नवमी की आप सभी को बधाई व शुभकामनायें....

@विपिन "व्याकुल"

नियति

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