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रविवार, 7 नवंबर 2021

नमकीन फिल्म

कई दिनों से फेसबुक के वीडियों सेक्शन में एक फिल्म के क्लिप दिख रहे थे। संजीव कुमार के अभिनय का शुरू से ही कायल रहा हूँ। फिल्म का नाम था - "नमकीन"

रात 11 बजे मूड बना कि ये फिल्म देखी जाये। 2 घंटे 9 मिनट की फिल्म रात 1 बजे तक देखी गयी। 

एक बेहतरीन फिल्म। शबाना आजमी की एक्टिंग गजब की है। आधी फिल्म तक पता ही नही चला वों गूँगी है। जब हीरो को बताया गया तभी पता चला। वैसे भारत में दूरदर्शन की क्रांति 1984 में आयी थी। तभी ज्यादातर पुरानी फिल्में देखी थी। ये फिल्म 1982 की है। शायद तब नयी होने की वजह से दूरदर्शन पर न दिखायी गयी हों। वहीदा हो या शर्मीला.. सभी बेहतरीन अभिनय करते दिखे। 

हर उन छोटी-छोटी चीजों को दिखाना जो हम अपने प्रतिदिन के जीवन में करते है फिल्म की यही विशेष खाशियत है जैसे- बिजली का स्विच अनजाने में ऑन कर देना जबकि पता है बिजली का कनेक्शन ही नही है या खाते वक्त खुले व खाली टिफिन को संभाले रखना।

मजबूरी व्यक्ति की दशा और दिशा दोनो बदल देता है। आशा की किरण थोड़ी दिखायी दी थी पर हीरो के घर छोड़कर चले जाने से रही सही कसर जाती रही। गरीबी व असहाय से दुःखी व्यक्ति को जो करना था वही किया। एक का प्राणांत व दूसरी का नौटंकी में काम।

अब इंतेजार है दूसरे फिल्मी क्लिप का....

@व्याकुल

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