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मंगलवार, 23 जुलाई 2024

वापसी

वापसी की बेला में

वों

स्वयं ही 

रह जाता है

उस अहसास

के साथ

जिसमें 

दर्द छुपा होता है

बहुत सी बातों का

कुछ अनकहे

बंद हो जाती है कानें

खींच लेती है

लक्ष्मण रेखा

उन 

कहकहों से।


दिमाग में

घेर लेती है

चक्रव्यूह सी

शून्यता

जो

खेल 

खेलता रहता है

तुझे

अभिमन्यु समझ कर

अब या

लड़ रण में

या

आत्मसमर्पण कर।


@डॉ विपिन "व्याकुल"




वापसी

वापसी की बेला में वों स्वयं ही  रह जाता है उस अहसास के साथ जिसमें  दर्द छुपा होता है बहुत सी बातों का कुछ अनकहे व बंद हो जाती है कानें खींच ...