मै एक पत्रिका पढ़ रहा था उसमे एक लेख ओशो के विचारों पर थी।काफी अच्छी लगी । उसमे लिखा था "आदमी बहुत जल्दी ऊब जाता है। किसी भी चीज से ऊब जाता है। अगर सुख ही सुख मिलता जाए, तो मन करता है की थोड़ा दुःख कही से जुटाओ। आदमी बड़े से बड़े महल में जाए, उससे ऊब जाता है । सुन्दर से सुन्दर स्त्री मिले, सुन्दर से सुन्दर पुरुष मिले, उससे भी ऊब जाता है, धन मिले, अपार धन मिले, उससे ऊब जाता है। यश मिले, कीर्ति मिले, उससे भी ऊब जाता है। जो चीज मिल जाए, उससे ऊब जाता है। हाँ, जब तक न मिले बड़ी सजगता दिखलाता है, बड़ी लगन दिखलाता है। लेकिन मिलते ही ऊब जाता है।"
कठिनाई एक ही है की संसार की यात्रा पर प्रयत्न नहीं ऊबता, प्राप्ति उबाती है, और परमात्मा की यात्रा पर प्रयत्न की यात्रा पर प्रयत्न ऊबाता है। प्राप्ति कभी नहीं। जो पा लेता है। वह तो फिर कभी नहीं ऊबता ...
@व्याकुल
वाह..बढ़िया लेख...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मित्र
हटाएं👍🏻
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंVery nice
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