हिन्दू चिन्तन#1
थोरो नामक पाश्चात्त्य तत्त्वज्ञानीको किसीने पूछा कि आपका आचरण एवं विचार इतने अच्छे कैसे हैं ? इसपर उसने तत्काल उत्तर दिया, ‘’ मैं नित्य प्रातःकाल अपने हृदय और बुद्धि को गीतारूपी पवित्र जल में स्नान कराता हूँ।’’थोरो का कहना था "प्राचीन युग की सभी स्मरणीय वस्तुओं में भगवदगीता से श्रेष्ठ कोई भी वस्तु नहीं है। गीता के साथ तुलना करने पर जगत का समस्त आधुनिक ज्ञान मुझे तुच्छ लगता है।"ऐसा था अपना सनातन धर्म। हिन्दू ही क्या विदेशी धरती पर भी लोगो को प्रेरित करती रही है..अमेरिकावासी हेनरी डेविड थोरो विख्यात समाज-सुधारक थे। वे ' सविनय अवज्ञा आंदोलन' के जनक थे जिनसे गांधी ने अपना सविनय अवज्ञा आंदोलन' लिया था। थोरो भारतीय दर्शन की किताबें बड़े चाव से पढ़ते थे उनके पास गीता के अलावा भारतीय दार्शनिकों के कई ग्रन्थ थें। थोरो ने हिन्दू दर्शन व धर्म की कई जगहों पर खुलकर प्रशंसा की है।
इन्होने अपनी पुस्तक 'लाइफ इन दी वुड्स' में जीवन में निडरता व शांति के साथ ही साथ सत्य पर विशेष बल दिया । आपके दर्शन में भारतीय दर्शन की छाया परिलक्षित होती है ।
@व्याकुल
#विपिन पाण्डेय
#हिन्दूदर्शन#वेद#थोरो#सविनय
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