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मंगलवार, 23 नवंबर 2021

जाल

सदियों

की शोषित

परम्परा

जाल का 

खेल

कौन 

नही बुनता..


और

शिकारी

टकटकी

लगाये रहता

फिर 

मादकता 

से

चमक उठता

मांसल से

देह का..

@व्याकुल

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