लूट ही लूट जब मचा हों
पेट तब भी न भर रहा हों
भूखे पेट घूम आना किसी
गरीब बस्ती में..
अहं जब चरम पर हों
खुद को जब इन्द्र समझने लगना
कृष्ण बन छतरी तान आना किसी
गरीब बस्ती में...
कबीर जब बनना हों
या वीणा धारिणी तपस्वी होना हो
कुछ अक्षर उकेर आना किसी
गरीब बस्ती में...
भरी थाली खिसकाने का मन हो
या अन्न देव भा न रहे हो
रोटी के दो टुकड़े खा आना किसी
गरीब बस्ती में...
सम्मान न आ रहा हो मातृ का
या चरित्र शोषक का बन गया हों
स्त्री सा जीवन जी आना किसी
गरीब बस्ती में...
@व्याकुल
True reality a person should always live down to earth very touching
जवाब देंहटाएंThank you very much..
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