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शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

तिलक

आज तिलक जी की जयंती है। 

तिलक जी का नाम आते ही दिमाग में लाल-बाल-पाल की तिकड़ी गूंज उठती है। स्वतंत्रता आंदोलन के समय में राष्ट्रवादी चिंतकों में दो दल हुआ करते थे। पहला, उदारवादी और दूसरा उग्रवादी। बाल गंगाधर तिलक की गिनती उग्रवादी नेताओं में की जाती थी।

तिलक जी न सिर्फ देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयत्नशील थे वरन वह मानसिक परतंत्रता से भी देश को मुक्त कराना चाहते थे। पूर्व में गीता के जितने भी टीकाकार थे सभी ने मोक्ष की बातें ज्यादा की थी कर्म पर फोकस कम ही था जो तिलक जी को उद्विग्न करती थी।

वह सोचते थे जो गीता अर्जुन को कर्म के लिए प्रेरित कर रही वही गीता सिर्फ मोक्षदायिनी कैसे बन सकती है वों गीता की व्याख्या कर्म को केंद्रित रखकर करना चाहते थे गीता रहस्य पुस्तक की रचना उन्होंने इसी कर्म को ही केंद्रित रखकर की थी।


जिस वक्त देश पराधीनता के दौर से गुजर रहा था उस वक्त भारतीय समाज की आवश्यकता थी कि हम मोक्ष की बात ना करें कर्म की बात करें। तिलक जी इस बात को समझते थे इसलिए उन्होंने गणेश उत्सव जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया था जो आज भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।

गीता रहस्य तो उन्होंने बर्मा के मांडले जेल में लिख डाली थी वह भी पेंसिल से। गीता रहस्य में उन्होनें सामंजस्य पर जोर दिया उनका कहना था यदि आपके पास नीति है तो आप आधे सफल हो सकते हैं इसका बेहतरीन उदाहरण जरासंध के वध से किया जा सकता है तब कृष्ण की नीति थी और भीम का पराक्रम।

तिलक जी का गीता रहस्य पढ़ने से पहले मै भी यही सोचता था की गीता कर्मों से विमुख होने की सलाह देती है या कर्म में रत रहने की, पर गीता रहस्य आवरण हटा ही देता है सांसारिक जीवन में होते हुये भी बेहतरीन कर्म कर सकते हैं।

अधुना काल में यदि आप द्वंद में हो तो जरूर गीता रहस्य नेत्र के सामने रखिए। भाव को मन से चिंतन करें निःसंदेह आपके जीवन में एक नया सवेरा होगा और यही शायद तिलक जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

@व्याकुल

7 टिप्‍पणियां:

  1. भगवत गीता बहुआयामी है इसमें सिर्फ मोक्ष या कर्म की बातें ही नहीं है अपितू और भी बहुत कुछ है। महात्मा गांधी ने कहा था जब भी मैं समस्याओं से घिरा रहता हूं तो भगवत गीता के प्रश्नों को पढ़ने के बाद मुझे अपनी समस्याओं का समाधान मिल जाता है। श्रील प्रभुपाद (ISKCON) जी के द्वारा भगवत गीता यथारूप सबसे सरल भाषा में लिखी हुई गीता है और भगवत गीता के बहु आयामी पक्ष को यथारूप प्रस्तुत करती है।

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    1. डॉ नवनीत जी.. आपने बहुत ही सरल भाषा व कम शब्दों में गीता का सार व्यक्त कर दिया... आभार आपका

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  2. भगवद्गीता ग्रन्थ जीवन के हर रहस्य को उजागर करने में सक्षम व समर्थ है। जीवन कैसे जिया जाए से लेकर भमवत प्राप्ति और उसके उपरान्त ज्ञान, धर्म, कर्म, सन्यास, मोक्ष जैसे अनेकानेक बहुआयामी आवृत्तियों को सजीव कर देती है। भगवान कृष्ण के द्वारा स्वयं समस्त मानव जीवन को सुधारने व संवारने हेतु भगवतोपदेश है।

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  3. इतने कम शब्दों में तिलक और गीता रहस्य को समेटना इतना आसान नही है पर एक सार्थक प्रयास। जय हो।

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