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शनिवार, 24 मई 2025

धाकड़ पथ

 धाकड़ पथ..


पता नही इस विषय में लिखना कितना उचित होगा पर सोशल मीडिया के युग में ऐसे सनसनीखेज समाचार से बच पाना मुश्किल ही होता है। किसी ने मजाक में ही कही लिखा था की इसका नाम "धाकड़ पथ" होना चाहिये लेकिन ऐसे तो हर शहर, हर मोहल्ले में धाकड़ मार्ग होगा।


ऐसे ही हमारे मोहल्ले मीरापुर के एक गली में एक धाकड़ पकड़ा गया था। वों इतना धाकड़ था की पकड़ने वाले को प्रतिदिन धमकाता था बाद में पकड़ने वाले को समझौता करना पड़ा था। कई बार हमें अपने घर के बगल वाले मार्ग में धाकड़ मार्ग का एहसास हुआ था। वाद परिवाद का साक्षी भी रहा हूँ। कई धाकड़ आज भी रो रहें। 


बी. एच. यू में पढ़ाई के दौरान PMC चौराहा का पता चला था। इसकी धाड़कता का अंदाज़ नहीं पर बगल वाला PCB जरूर धाकड़ रहा होगा।


 शायद ऐसा ही कोई मोहल्ला या कॉलेज का कोना आपके शहर में भी होगा। पता करिये उस धाकड़ लेन का।


😂😁

@विपिन पाण्डेय 

बुधवार, 19 मार्च 2025

रानी अब्बक्का



500 साल पहले पुर्तगाल के व्यापारी हिंद महासागर के समुद्री रास्ते कब्जा चुके थे। भारत पर आक्रमण करने की तैयारी थी लेकिन उनकी इस योजना को विफल किया रानी अब्बक्का ने। आधुनिक इतिहास में यूरोपियों से स्वतंत्रता संग्राम करने वाली पहली योद्धा रानी अब्बक्का ही हैं। पुर्तगाली और रानी अब्बक्का के बीच पहला युद्ध 1555 में लड़ा गया। दूसरा 1558 में और तीसरा 1567 में। रानी अब्बक्का ने तीनों बार पुर्तगालियों को धूल चटा दी।


अब्बक्का को लोगों ने भुला दिया था। 2009 में भारतीय कोस्ट गार्ड में एक पेट्रोलिंग जहाज ICGS Rani Abbakka तैनात किया गया।


चौटा के राजा तीरुमाला राय तृतीय (Thirumala Raya III) की राजधानी उल्लाल थी। चौटा वंश मातृसत्ता का पालन करता था और राजा तीरुमाला तृतीय का राज उनकी भतीजी अब्बक्का को मिला था।

सोमवार, 10 मार्च 2025

समय का पहिया

 


वह जोमैटो में डिलीवरी बॉय बन गया था। रात दिन कभी इधर तो कभी उधर। बस शहर के चक्कर लगाते रहना है। 


कभी किसी कॉलेज के हॉस्टल में जाना होता था तो कॉलेज के पुराने दिन याद आ जाते थे यह भी याद आता था की कैसे उसका  विद्यार्थी जीवन  आनंदमय रहा था।


 कभी सुबह के नाश्ते में पोहा बड़ा ही पसंद आता था। उसकी वजह यह थी कि मिताली को सुबह पोहा कैंटीन में चाहिए था। वह मिताली को बेहद पसंद करता था तो उसने भी पोहा खाने की आदत बना ही ली थी और कितनी ही बार मैंने उसका पेमेंट भी किया था।


मैंने तो पोहा ही खाना छोड़ दिया था जबसे कॉलेज लाइफ छोड़ा। आज अचानक पता नहीं क्यों मिताली बहुत ही याद आ रही थी जैसे लग रहा था कि वह इसी शहर में कहीं है। 


 एक फ़ूड कोर्ट मैं आर्डर लेने के लिए खड़ा ही था मुझे कैश में एक महिला दिखाई दी। मेरे तो जैसे पंख ही लग गए थे। मैं ध्यान से देखा तो मिताली ही लगी।इतने बड़े रेस्टोरेंट की मालकिन। मै खुश हो गया। मैं तुरंत बाइक को स्टैंड पर लगाया और पास गया। " मिताली!!!  पहचाना" उसने बोला, ” मुझे याद तो नहीं आ रहा” मैंने कहा, "हर सुबह हम लोग दिल्ली कॉलेज कैंटीन में पोहा खाते थे" "क्या तुम्हें कुछ भी याद नहीं” उसने कहा, ”कुछ भी याद नहीं, पहले यह बताओ तुम क्या कर रहे हो” मैंने बताया कि "मैं जोमैटो में डिलीवरी बॉय हूँ" उसने बोला, "सॉरी, पहचान नहीं पा रही हूं” मैंने कहा, ”ठीक से देखो, मै मुकेश।" 


 "मै किसी मुकेश वुकेश को नहीं जानती" पर यह याद रखना डिलीवर करने जाते हो तो फीडबैक लेना मत भूलना। 


सारे स्टाफ के चेहरे पर व्यंगात्मक हसीं थी। इस जवाब से मैं ज़मीन में गड़ गया। चलते वक्त सिर्फ इतना ही सुन पाया था की "यह तब भी लफँगा था और आज भी वैसा ही है।"


मै बहुत जल्दी वहां से बहुत दूर चला जाना चाहता था।


@डॉ विपिन पाण्डेय "व्याकुल"




बुधवार, 5 फ़रवरी 2025

घुसपैठिया

घुसपैठिया नहीं मानता 

इंसानों को 

जों गरीबी 

लाचारी 

मज़बूरी 

में घुस आते है 

पड़ोसी देशों में 

पड़ोसी परदेशों में।


घुसपैठिया मानता हूँ 

ललितपुर को

सहारनपुर को 

बलिया को 

जों खुल्लम खुल्ला 

घुस जाते है 

पड़ोसी परदेशो में।


मज़ाल है कोई 

निकाल सके 

या सीधे रेखा 

खींच सके 

जैसे गांवो में 

हम मेढ़ो के साथ 

करते है...


@डॉ विपिन पाण्डेय "व्याकुल"




सोमवार, 3 फ़रवरी 2025

ख़्वाहिश

पता है मुझे वों सीतारें है फ़लक के 

जमीं पर रहें पाँव के निशाँ जरूर देखना 


बदलते मौसम की गठरी ग़ुरूर की ज़ब हो 

बहते हुए पसीने की आजिज़ी जरूर देखना


बढ़ चुके जों कदम छोड़ कर तन्हा मुझे 

समय मिले तो पुराने तोहफ़ो को जरूर देखना 


किस्से किताबों में ज़ब दफ़न हो जाये 

पहले पन्ने की सिसकियों को जरूर देखना


खूब करें गुफ़्तगू अजनबी तमाशाइयों से 

साहिल रहें उस शाम "व्याकुल" जरूर देखना


@डॉ विपिन पाण्डेय "व्याकुल"


आजिज़ी = बेबसी




धाकड़ पथ

 धाकड़ पथ.. पता नही इस विषय में लिखना कितना उचित होगा पर सोशल मीडिया के युग में ऐसे सनसनीखेज समाचार से बच पाना मुश्किल ही होता है। किसी ने मज...