आज उसकी शादी के एक वर्ष हो गये थे। बहुत ही बड़े घर में शादी हुई थी। धन-दौलत की कोई कमी न थी। हर काम के लिये नौकर-चाकर। इच्छा जाहिर करने भर की देर थी।
माधुरी के पिता शिव चरन मिर्जापुर के बड़े वकील थे। शिव चरन की ख्वाहिश भी थी किं सम्पन्न घर में ही विवाह करना है। राम दयाल के लड़के मोहन से माधुरी का विवाह जेठ माह में हुआ था। हाथी, घोड़ा व पालकी सभी कुछ तो आया था। चिलबिला का नाच भी। बड़ा ही मनमोहक था सब कुछ। आस-पास कई महिनों तक शादी ही चर्चा का विषय रहा। मिर्जापुर के प्रतिष्ठित कॉलेज का प्रांगण दुल्हन की तरह सजाया गया था। हर एक व्यक्ति हर्षोल्लास के साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहा था।
माधुरी एक मात्र पुत्री थी। बहुत ही लाडली। माधुरी सौम्य,सुशील व मृदुभाषी थी। सबकी प्यारी। भाई छोटा था। पिता ने खर्च करने में कोई कोर कसर नही रख छोड़ी थी।
बारात तीन दिन तक रही थी। नाच-गाने का माहौल बना हुआ था। दोनों तरफ के पंडितों का शास्त्रार्थ भी हुआ था। उस दिन माधुरी का सपना सच हो गया था....
@व्याकुल
क्रमशः
https://vipinpanday.blogspot.com/2021/06/2_19.html
Nice👌👌
जवाब देंहटाएंthanks
हटाएंगंगाजल की आगे की कहनी सुनने के लिये ब्याकुल हूं।
हटाएंशुक्रिया.. जल्द ही..
हटाएंWah very nice story vipin ji 👏👏👌
हटाएंThank you
हटाएंक्रमशः का इंतजार है
जवाब देंहटाएंजी... शुक्रिया
हटाएंNice
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएं