FOLLOWER

शनिवार, 19 जून 2021

गंगाजल - 2


गतांक से आगे....

माधुरी को अपने पति मोहन से कभी कोई शिकायत नही रही। सब कुछ हँसी-खुशी अच्छे से चल रहा है। पति ने भी कभी कोई कमी नही कर रखी है। 

मोहन का कानपुर शहर के बीचों-बीच बड़ा सा घर है। नौकरों के रहने के लिये अलग व्यवस्था थी। उस बड़े से मकान में मोहन के भतीजे व और भी रिश्तेदार बड़े मौज में रह रहे है। 

माधुरी आनन्देश्वर मन्दिर हर सोमवार जाया करती। शिव की आराधना उसने 10 वर्ष की उम्र से ही शुरू कर दिया था। मॉ बहुत समझाती, 

"बिटिया, शरीर को इतना न कष्ट दे" 

पर माधुरी को जैसे शिव भक्ति के विपरित सुनना कुछ अच्छा नही लगता था। आज भी उसने जैसे प्रण ले लिया हो शिव भक्ति का।

मोहन की साख कानपुर के बड़े घरानों में अच्छी थी। ऐसा कोई नही था जो मोहन की उपेक्षा करता। दान-पुण्य खुल कर करता था मोहन। 

राम दयाल फर्नीचर के पुराने व प्रतिष्ठित व्यवसायी थे। यह उनका पुश्तैनी व्यवसाय था। कुछ दिनों से राम दयाल की तबियत ठीक नही थी। मोहन ने न सिर्फ अच्छे ढंग से व्यवसाय ही संभाला था बल्कि बहुत आगे तक लेकर जा चुके थे। 

मोहन का सपना था कानपुर के सबसे धनाढ्य वर्गों में उसका नाम हो वो उसने प्राप्त कर लिया था।

©️व्याकुल

क्रमशः

https://vipinpanday.blogspot.com/2021/06/3_19.html

7 टिप्‍पणियां:

धाकड़ पथ

 धाकड़ पथ.. पता नही इस विषय में लिखना कितना उचित होगा पर सोशल मीडिया के युग में ऐसे सनसनीखेज समाचार से बच पाना मुश्किल ही होता है। किसी ने मज...