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शनिवार, 5 जून 2021

आहट - 2

 

गतांक से आगे...

शादी के बाद तो वो मायका जा ही नही पायी। न कभी भाई ने सुध ली न ही उसका मन हुआ। शादी होने के बाद मायके जाने के नाम पर लड़कियों का उत्साह देखतें ही बनता है। ससुराल की कितनी बातें होती है बतानें के लिये। कुछ कष्ट भी होता है तो बड़ी चालाकी से छुपा ले जाती है। मॉ- बाप को कोई पीड़ा न पहुँचे इसका कितना ख्याल रखती है वों। 

वो अपना सुख-दुख किससे कहती। कभी मौका ही नही मिला कुछ कहने कों। वर्ष में शायद ही एक-दों बार बमुश्किल भाई से बात होती होगी।

बार-बार फोन हाथ में लेती, फिर कुछ सोच कर कॉल करने की हिम्मत नही हो रही थी। ऐसा ही होता है जब हमें कभी कहीं से अपनत्व नही मिलता तो हम वहाँ बात करने में हिचकिचाते है, रिश्ता भले ही खून का हों।

मॉ का धुँधला चेहरा आज भी उसे याद है, जब वों लाल चादर पर लिपटी थी। मै नासमझ इंतेजार कर रही थी, मॉ अभी उठेगी और मुझे प्यार करेंगी। क्या पता था वों दिन मेरे जीवन का सबसे अभागा दिन था। याद है उस दिन कैसे उसके पिता ने उसे झिड़क दिया था। कोई ऐसे किसी अबोध के साथ करता है क्या। उस दिन के बाद से कभी पिता को हँसते नही देखा था मैने। 

साकेत उम्र में थोड़ा बड़ा था और पड़ोस में ही रहता था...

क्रमशः

©️व्याकुल

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